कनिमोझी को मिल सकती है जमानत !
राजनीति 8:52 am

30 मई को कनिमोझी और कलैंगनर टीवी के एमडी शरद कुमार की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और जिस तरह से सीबीआई के वकील ने कमजोर दलील दी उससे इस बात की संभावना बढ़ गयी है कि अब कनिमोझी को जमानत मिल सकती हैं. हालांकि न्यायमूर्ति ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
कनिमोझी के जमानत पर सीबीआई के वकील और स्पेशल पब्लिक प्रासिक्यूटर यूयू ललित ने दलील दिया कि कनिमोझी और शरद कुमार को हिरासत में रखना इसलिए जरूरी है क्योंकि उन्होंने 200 करोड़ रूपये के लेनदेन को लोन कहकर भ्रम पैदा करने की कोशिश की थी. यू यू ललित ने दलील दिया कि लेन देन को लोन साबित करेनवाला कोई कागजात अभियुक्त पेश नहीं कर पाये इसलिए इसे घूसखोरी का पैसा ही समझना चाहिए.
यह कमजोर दलील है। इसकी बनिस्बत कनिमोझी के वकील अल्ताफ अहमद ने कहा कि सारे कागजात सीबीआई के पास मौजूद हैं फिर ऐसे में कनिमोझी को हिरासत में रखने का क्या औचित्य है? अहमद ने कहा कि जहां तक लोन का सवाल है तो इससे जुड़े कागजात सीबीआई के पास मौजूद हैं फिर इसे घूस कहना बेकार की बात है।
अहमद की दलील में दम है और सामान्य सी बात है कि जब भी किसी कंपनी में पैसे का ट्रांजिक्शन होता है तो भले ही वह घूस का पैसा हो लेकिन उसे किसी न किसी रूट से निवेश किया जाता है. कमजोर ही सही लेकिन उसके कागजात बनाये जाते हैं. इसलिए कलैगनर टीवी में पैसा आया तो निश्चित रूप से इसके डाक्यूमेन्ट होंगे और पैसा घूस का है और टूजी घोटाले से पैदा किया गया है इसे साबित करना सीबीआई के लिए आगे निश्चित रूप से बहुत कठिन होगा.
सीबीआई ने अब तक जो तर्क दिया है उसके पीछे तर्क कम संदेह ज्यादा हैं.
वैसे भी पिछली सुनवाई में कनिमोझी के वकील ने दलील दी थी कि कनिमोझी का एक अबोध बच्चा है जिसकी देखरेख के लिए उसकी मां का उसके पास होना जरूरी है. आईपीसी की धारा 373 महिला को इस आधार पर जमानत देने की अनुशंसा करती है इसलिए इस बात की संभावना अब बढ़ गयी है कि जल्द ही कम से कम कनिमोझी को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा.
सीबीआई द्वारा कमजोर तर्क प्रस्तुत किया जाना भी इस बात का संकेत है कि कम से कम अब कांग्रेस डीएमके को थोड़ी राहत देती नजर आ रही है.
